इससे पहले 26 अप्रैल को अदालत ने महिला पहलवान यौन शोषण मामले में आरोपी भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की उस अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसमें उन्होंने महिला पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न मामले में आगे की जांच की मांग की थी। राउज एवेन्यू कोर्ट की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने 7 मई को मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया था। जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा सांसद द्वारा आवेदन दायर करने के बाद 18 अप्रैल को अदालत ने सिंह के खिलाफ आरोप तय करने पर आदेश टाल दिया था। अपने आवेदन में सिंह ने आरोप तय करने पर आगे की दलीलें पेश करने की अनुमति मांगी। उन्होंने दिल्ली पुलिस को घटना की कथित तारीख सात सितंबर 2022 को डब्ल्यूएफआई कार्यालय में उनकी उपस्थिति के संबंध में जांच करने का निर्देश देने की मांग की।उन्होंने दावा किया था कि वह संबंधित तारीख पर भारत में नहीं थे। ताजा आवेदन में दिल्ली पुलिस को सीडीआर रिकॉर्ड में रखने का निर्देश देने की भी मांग की गई। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एपीपी अतुल श्रीवास्तव ने आवेदन का विरोध किया था और कहा था कि इसे देरी से दायर किया गया है। उन्होंने कहा था कुछ रुकावट होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया था कि आवेदन आगे की जांच की मांग करने जैसा है और इसके कानूनी निहितार्थ होंगे जिन पर बहस करनी होगी।
शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा था कि आवेदन में देरी करने की रणनीति थी और सीआरपीसी की धारा 207 के स्तर पर दस्तावेज मांगे जा सकते थे। सिंह इस मामले में सह-अभियुक्त विनोद तोमर, जो भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व सहायक सचिव हैं के साथ जमानत पर हैं। दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने उनके खिलाफ धारा 354, 354 ए, 354 डी और 506 (1) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दायर किया था। हालाँकि एक नाबालिग पहलवान द्वारा सिंह के खिलाफ दर्ज पोक्सो मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है।भाजपा विधायक पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यौन उत्पीड़न की कथित घटनाएं 2016 और 2019 के बीच डब्ल्यूएफआई कार्यालय, सिंह के आधिकारिक आवास और विदेश में भी हुईं।
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