रावण की जन्मभूमि: यहां दशानन को जलाते नहीं बल्कि पूजा करते हैं लोग, यूपी के इस गांव में लंकेश का मंदिर l
गांव के लोगों का कहना है कि रावण यहां ही भगवान शिव की पूजा करता था। उसके वध के कारण गांव में न तो कभी रामलीला होती है और न ही दशहरा पर कोई उत्सव मनाया जाता है। गांव के किसी भी व्यक्ति ने जब पुरानी परंपरा को तोड़कर रामलीला का आयोजन कराया या रावण दहन का काम किया तो उसके साथ अशुभ हुआ।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित बिसरख गांव को दशानन रावण की जन्मस्थली माना जाता है। गांव में ही भगवान शिव की शिवलिंग स्थापित है। गांव के लोगों का कहना है कि रावण यहां ही भगवान शिव की पूजा करता था। उसके वध के कारण गांव में न तो कभी रामलीला होती है और न ही दशहरा पर कोई उत्सव मनाया जाता है। बिसरख गांव में दशहरे को लेकर न तो कोई खुशी है और न ही उल्लास होता है।
रमेश और विनय ने बताया कि गांव के किसी भी व्यक्ति ने जब पुरानी परंपरा को तोड़कर रामलीला का आयोजन कराया या रावण दहन का काम किया तो उसके साथ अशुभ हुआ। इसके चलते कोई भी रामलीला और रावण दहन नहीं करते हैं। समय बदला है, युवाओं के विचार भी बदल रहे हैं, लेकिन पुरानी परंपराओं और मान्यताओं के विरुद्ध अभी तक कोई भी परिवार या व्यक्ति सामने नहीं आया है, जिसके चलते यह परंपरा आज भी कायम है।
शाम साढ़े पांच बजे होगा हवन
बिसरा गांव में स्थित रावण के मंदिर में शाम 5:30 बजे हवन व पूजन होगा। महंत रामदेव ने बताया कि गांव के लोग सुबह पूजा के लिए आए थे। शाम को मंदिर परिसर में विधिविधान से पूजा अर्चना होगी।
गांव में है रावण का मंदिर
बिसरख गांव में रावण का एक मंदिर भी है। महंत रामदेव ने बताया कि रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा द्वारा स्थापित अष्टकोणीय शिवलिंग मौजूद है। मान्यता है कि रावण और उनके भाई कुबेर इस शिवलिंग की पूजा करते थे। रावण ने भगवान शिव की तपस्या करते हुए इसी शिवलिंग पर अपने सिर को अर्पित किए थे, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें 10 सिर का वरदान दिया था। गांव के अन्य लोग बताते हैं कि दूर-दूर से लोग भगवान शिव और बाबा रावण से वरदान मांगने के लिए यहां आते हैं।
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