ईडी अधिकारी ने गाजियाबाद में की सुसाइड: रेलवे ट्रैक पर सिर रखकर दी जान, भ्रष्टाचार के कथित आरोपों से घिरे थे l
जीआरपी को 18 अगस्त को रेलवे ट्रैक पर शव मिलने की सूचना मिली थी। मौके पर टीम ने पहुंचकर जांच की तो मृतक की जेब से ड्राइविंग लाइसेंस और एक पर्ची मिली थी।
भ्रष्टाचार के कथित आरोपों से घिरे ईडी के अधिकारी आलोक रंजन का शव गाजियाबाद में गौशाला फाटक के पास रेलवे ट्रैक पर मिला। जीआरपी की टीम की जांच में सामने आया है कि ईडी के अधिकारी ने रेलवे ट्रैक पर अपना सिर रखकर आत्महत्या की है। शुरूआत में परिजनों ने जीआरपी को अधिकारी का केवल नाम बताया। उनके ईडी में अधिकारी होने की बात उन्होंने जीआरपी को नहीं बताई।जीआरपी गाजियाबाद के सीओ सुदेश गुप्ता ने बताया कि 18 अगस्त को दो बजे रेलवे ट्रैक पर शव मिलने की सूचना आई थी। मौके पर टीम ने पहुंचकर जांच की तो जेब से ड्राइविंग लाइसेंस और एक पर्ची मिली। पर्ची पर आलोक रंजन का नाम और राजनगर की एसएन ग्रांड सोसायटी का पता लिखा हुआ था। इसी आधार पर परिजनों को जानकारी दी गई। परिजन पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंच गए। बाद में पता चला कि आलोक रंजन ईडी में अधिकारी थे।
बेटा गया था गुमशुदगी दर्ज कराने
आलोक रंजन 18 अगस्त को घर से बिना बताए लापता हो गए थे। कई दिन से वह तनाव में चल रहे थे। आलोक रंजन का बेटा पिता की गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए नंदग्राम थाने भी गया था। इसी बीच उनको पिता का शव मिलने की जानकारी मिली। इसके बाद वह रोते हुए वहां से चला गया।
घूस लेने के मामले में सीबीआई ने दर्ज किया था केस
कुछ दिन पहले ईडी ने मुंबई के आभूषण कारोबारी के यहां छापा मारा था। पूरी कार्रवाई ईडी के सहायक निदेशक संदीप सिंह की अगुवाई में की गई थी। आरोप है कि संदीप सिंह ने कारोबारी के बेटे को गिरफ्तार करने की धमकी दी। उसको छोड़ने की एवज में 20 लाख की मांग की। कारोबारी ने इसकी शिकायत सीबीआई में कर दी। सात अगस्त को सीबीआई ने संदीप सिंह को दिल्ली के लाजपतनगर से रंगेहाथ पकड़ लिया। संदीप सिंह ने आलोक रंजन का नाम लिया था। बताया जा रहा है कि आलोक रंजन तभी से तनाव में चल रहे थे, उनको अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा था।
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